शिक्षा क्षेत्र में करोड़ो का घोटाला अब Punjab मे- School Clerk निकला मास्टरमाइंड

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देश में चल रहें भष्ट्राचारी से शिक्षा विभाग भी अछूता नही है। शिक्षा विभाग में हो रहे करोड़ों के घोटालों का सिलसिला लगातार सामने आ रहा है। पहले मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में एक फर्जीवाड़े में क्लर्क को गिरफ्तार किया गया है, फिर यूपी में 25 जिलों में एक साथ झूठे दस्तावेजों के साथ नियुक्त संविदा शिक्षक अनामिका शुक्ला द्वारा एक साल में प्रशासन से करोड़ो के वेतन का घोटाला कांड सामने आया तो अब पंजाब के सरकारी स्कूल के क्लर्क राजीव कुमार के करोडों के घपले करने का मामला उजागर हुआ।

घटना नंगल गांव के कुलगां की –

यह घटना पंजाब के एक उप मंडल नंगल के गांव कुलगां के सरकारी हाई स्कूल की है। नंगल पुलिस द्वारा आरोपी क्लर्क राजीव कुमार और स्कूल के प्रधानाचार्य सुरेश कुमार के खिलाफ घपले का मामला IPC 1860 की धारा 409, 420,465, 467, 468 व 471 के तहत् दर्ज किया गया है।

 

स्कूल के बिलों से करता था, छेड़छाड़ –

क्लर्क द्वारा जाली बिल बनाकर उस राशि को अपने SBI बैंक के दो खातों में टांसफर कराया जाता था। साथ ही एक साइंस शिक्षक का फर्जी खाता खोलकर उसके वेतन का भी लाभ ले रहा था। क्लर्क द्वारा बिल पास कराने संबंधी समस्त दस्तावेज कम्प्यूटर पर तैयार कर उसकी हार्डकॉपी पर प्रधानाचार्य से हस्ताक्षर करा लिए जाते थे। स्कूल प्रिंसिपल द्वारा इलेक्ट्रानिक क्लीरेंस सर्विसेस से बिना मिलान किये हस्ताक्षर कर वित्त विभाग को भेज दिया जाता था। इस तरह स्कूल के कई बिलों में छेड़छाड़ करते हुये क्लर्क ने कुल 99,27,517 रुपये का हेराफेरी की ।

 

माता की नौकरी मिली थी –

आरोपी क्लर्क को अनुकंपा के आधार पर अपनी माता की नौकरी 15 सितम्बर 2006 को मिली थी | उसने 2018 तक इसी स्कूल में काम किया और उसके बाद उसका ट्रान्सफर किया गया | इसके बाद भी कुलगां स्कूल में क्लर्क पोस्ट ना होने से वो इस स्कूल का भी बिल तैयार कर पास कराता रहा ।

 

ऑडिट विभाग को मिली गडबडी –

 

जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि ऑडिट विभाग को जांच के दौरान फर्जी साइंस शिक्षक के खाते से एक ही बार में जब 18 लाख रुपये निकालकर क्लर्क के खाते में डलवाने का मामला सामने आया, तब ऑडिट विभाग ने इसकी शिकायत डीईओ को की । जिसके बाद जांच कार्यवाही के लिए जिला स्तरीय कमेटी बनाई गई, जिसके मुख्य अधिकारी प्रिंसिपल मेजर सिंह और अवतार सिंह थे। जांच के बाद पुलिस को शिकायत की गई। इस पूरे मामले में प्रधानाचार्य की लापरवाही और वित्त विभाग की अनदेखी सामने आ रही है।

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