लखनऊ में पेटा ( PETA) ने एक बिलबोर्ड लगवाकर बकरी की तस्वीर के साथ लोगों से शाकाहारी बनने की अपील की थी। इसके बाद सुन्नी मौलवी ने विरोध जताते हुए पोस्टर को आपत्तिजनक बताया था, विरोध के बाद, उस होर्डिंग को हटा दिया गया था। अब मप्र की राजधानी भोपाल के संस्कृति बचाओ मंच के कलाकारों ने बकरीद पर कुर्बानी का नया विकल्प निकालते हुए इंदौर में सिंथेटिक बकरा तैयार करते हुए एक नए अभियान की शुरुआत की है | इस आर्टिफिशियल बकरे का ऊपरी हिस्सा सिंथेटिक और भीतर का हिस्सा मिट्टी और घास से बना है।
जानवरों के लिहाज़ से अच्छी पहल-
संस्कृति बचाओ मंच के सदस्य शेखर तिवारी ने अभियान के बारे में बताया कि, यह किसी धर्म से जुड़ा हुआ मुद्दा नहीं है हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही बकरे का मांस खाते हैं। लेकिन पर्यावरण को देखते हुए एक बार सोच कर देखिये कि, यह जानवरों के लिहाज़ से कितनी अच्छी पहल होगी। “हम होली पर पानी बचाते हैं। दीपावली पर पटाखे नहीं जलाते हैं।
Bhopal-based artisans build an ‘eco-friendly Bakri’ ahead of Eid to ensure goats don’t get slaughtered. pic.twitter.com/soM1xHyxAO
— Free Press Journal (@fpjindia) July 27, 2020
यहां तक कि, नागपंचमी मनाने का तरीका भी पूरी तरह बदल लिया है। ” लेकिन विरोध करने वाले मजहब के ठेकेदार तो चुप रहने वाले नहीं हैं, उन्हें तो इसमें भी अपना धर्म खतरे में नजर आने लगा है | कुछ दिनों पहले प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण के चलते 24 जुलाई की रात 8 बजे से भोपाल में टोटल लॉकडाउन का आदेश जारी किया था। इसके विरोध में कॉन्ग्रेस विधायक आरिफ़ मसूद ने वीडियो के माध्यम से धमकी देते हुए कहा था कि बकरों की कुर्बानी तो हर हाल में हो कर रहेगी।
किसी धर्म का विरोध नहीं-
जबकि इसमें किसी धर्म के विरोध जैसी कोई बात नहीं है, यह तो पर्यावरण बचाने को लेकर की गई एक पहल है | आखिर किसी जीव की हत्या करने से कौन सा भगवन या खुदा प्रसन्न होता है | जबकि ऊपर वाले ने तो सभी जीवों को इस धरती पर एक साथ रहने के लिए भेजा है, फिर हम किसी प्राणी की जान कैसे ले सकते हैं |
अपने स्वाद के लिए किसी को मार देना तो पाप ही है और फिर न जाने कितने ही प्राणियों को समाप्त कर आज मनुष्य ने प्राकृतिक असंतुलन पैदा कर दिया है | परिणाम स्वरूप सूखा, बाढ़ व सुनामी का प्रकोप हमें सहना पड़ता है | सबसे ताजा उदाहरण तो कोरोना वायरस के रूप में पूरा विश्व झेल रहा है, जो चीन के वुहान शहर से निरीह जानवरों को मारने से ही फ़ैला है | इसलिए इस बार इकोफ्रेंडली बकरे की कुर्बानी देना ही जायज होगा |
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