राजकोट, गुजरात (Rajkot, Gujarat) – ऐसे देखने पर तो सभी को यही लग रहा होगा की बनासकाठा ज़िले के बच्चे झाड़ पर चढ़ के कोई गेम्स खेल रहे है याँ गाँव की देखरेख कर रहे है । किन्तु, वास्तव में यह आधा सत्य है वे झाड़ पर चढ़े हुए तो है ही परन्तु, वह ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए मोबाइल नेटवर्क ढूंढ रहे है। वास्तव में गाँव में कोई मोबाइल नेटवर्क ही नहीं है।
कुछ बच्चे, जिनमें लड़कियां भी शामिल है, सुबह-सुबह अपने घरों के पास पेड़ों पर चढ़ जाते हैं और घंटों तक शाखाओं पर बैठकर मोबाइल नेटवर्क को पकड़ने की उम्मीद करते है। कभी कभी मोबाइल नेटवर्क कुछ समय के लिए मिलता भी है। परन्तु, तब तक क्लास ख़त्म हो चुकी होती है।
अमीरगढ़ और दांता तालुका के पहाड़ी इलाकों में, लैपटॉप और डेस्कटॉप गरीबों के लिए सीमा से बाहर हैं। कई छात्रों के पास स्मार्टफ़ोन होते तो है, लेकिन वे शिक्षा के उद्देश्यों के लिए उपयोग में नहीं हैं, जिस तरह शहर के बच्चे नेटवर्क का आनंद लेते है।
धनपुरा गाँव के एक छात्र राहुल गमर कहते हैं –
“ऑनलाइन पढाई करना असंभव है, में कुछ मोबाइल नेटवर्क प्राप्त करने के लिए पेड़ों पर चढ़ता हूँ परन्तु, यह तरीका बहुत कम बार मेरे काम आता है”।
दो तालुकों के लगभग 15 गांवों में स्थिति प्रबल है।
धनपुरा से चार किलोमीटर दूर वीरमपुर गाँव की लोक निकेतन विद्यालय का नवमी कक्षा का बालक कहता है की –
“हमारे गाँव में ऑनलाइन तो पढ़ाया जा रहा है, लेकिन हमारे गाँव में मोबाइल कवरेज और नेट कनेक्टिविटी नहीं है, जिससे हमारा अध्ययन करना असंभव हो जाता है”।
धनपुरा के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल के प्रिंसिपल मायाभाई राणा ने कहा –
“हमारे पास 16 शिक्षक और 350 छात्र हैं। हम ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अधिकतम छात्रों तक पहुंचने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं”।
धनपुरा गाँव के एक किसान ने कहा,”मेरे दोनों बच्चे पढ़ रहे हैं, लेकिन मेरे पास मोबाइल नहीं है और नेटवर्क कवरेज नहीं है”।
प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) मुकेश चावड़ा ने कहा – “हमारे शिक्षक घर-घर जाकर छात्रों की समस्याओं का समाधान करेंगे और घर पर ही शिक्षा से संबंधित ज़रूरी सामग्री भी वितरित करेंगे”।