Dragon को सबसे ऊँची रेल लाइन बिछा कर भारत देगा जवाब

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आज कल भारत और चीन का विवाद काफी सुर्खियों में है । इसी वजह से रेलवे ने अपनी विचारधारा में तेजी दिखाते हुए लद्दाख तक ट्रैक बिछाने का निश्चय किया है । इस रेल सेक्शन का नाम बिलासपुर -मनाली -लेह लाइन होगा । भारतीय रेलवे के इतिहास में इस योजना को काफी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है । इस योजना में करीब 1500 किलोमीटर रेलवे लेबलिंग का काम पूरा हो चुका है । इस रेलवे लाइन का खर्च करोड़ों में आंका गया है । योजना में बिलासपुर से लेह तक 475 किलोमीटर लंबी पटरी बिछाने का काम भी शुरू हो चुका है । कोरोना जैसी महामारी में भी काम रुका नहीं है और यह निरंतर चलता जायेगा ।

कुछ इस प्रकार चलायी जाएँगी ट्रेन्स-

लेह से बनने वाली इस लाइन में 30 स्टेशन होंगे । इन पटरी पर ट्रेन 75 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड़ सकती है । इस पर 184 कंट्रोल पॉइंट वाली 89 जगहों को भी तय कर लिया गया है । उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी के हिसाब से यह कंट्रोल पॉइंट एलिवेशन का पता लगाने में काम आते हैं। रेलवे के लिए सबसे मुख्य चुनौती रहेगी इतनी ऊंचाई पर तापमान और ऑक्सीजन का संतुलन बनाना ।

इस रेलवे लाइन के गठन के लिए सरकार ने एक अलग कमेटी का चयन किया है। इस रेलवे लाइन की ज्यादातर मार्ग सुरंग से होकर जायेंगे । इस रेलवे लाइन में यात्रा करते समय आप बहुत सारे पुल, सुरंग और नदियों का नजारा ले सकते हैं। इसके अलावा यह रेलवे लाइन दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे लाइन की श्रेणी में शामिल है । चीन ने फैसला किया है कि वह अरुणाचल प्रदेश तक रेलवे लाइन बिछआएगा तो भारत भी इसमें पीछे नहीं है ।

अगर यह रेलवे लाइन बनकर तैयार होती है तो यह दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे लाइन होगी । अभी दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे लाइन चीन की शंघाई तिब्बत रेलवे लाइन है । यह भी माना जा रहा है कि इस रेलवे लाइन का निर्माण बहुत ही मुश्किलों भरा होगा क्योंकि रेलवे लाइन हिमालय के बहुत ही करीब बनेगी और हिमालय का रास्ता बहुत ही हल्का है ।

रेल्वे लाइन बनाने में आने वाली बाधाएं-

भारत सरकार को ऊंची पहाड़ियों पर, जमी हुई मिट्टी और बहुत ही ठंडे मौसम में अपना कार्य चालू रखना होगा । इसके अलावा वहां पर ऑक्सीजन की भी कमी होती है जिसके कारण भी निर्माण में दिक्कत आ सकती है। हालांकि सरकार का यह कहना है कि कितनी भी मुश्किल हो वह यह निर्माण कार्य पूरा करके रहेंगे और आधे से ज्यादा निर्माण का कार्य पूरा हो गया है ।

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