चमगादड़ है Corona Virus का पूर्वज – अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा। 70 सालो से Circulate हो रहा था किन्तु सब थे इससे अनजान।

245

शोधकर्ताओं ने रिसर्च के नतीजे बताये और कहा कि – महामारी की जो वर्तमान में हालत है उसमें कोरोना की वंशवाली को समझना बेहद जरूरी है। लगभग 40 से 70 साल पहले ही वर्तमान कोरोना के पूर्वज चमगादड़ में पहुंचे और धीरे धीरे ये इंसानो में पहुंचने के लिए हुए तैयार। 

कोरोना पर एक और नई बात पता लगी है। 

अमेरिकी शोधकर्ता मेसिज बोनी ने कहा कि कोरोना वायरस हॉर्सशू चमगादड़ में कई दशकों से सर्कुलेट हो रहा है। किन्तु इस बात से सब है बेखबर। इस समय महामारी की जो हालत है उसमे कोरोना की वंशवाली को समझना होगा क्यूंकि इससे इंसानो को बचाने में मदद मिल सकेगी। 

शोध्कर्ता के अनुसार – वर्तमान में कोरोना की महामारी फ़ैल रही है उसके पूर्वज पिछले 40 से 70 साल से चमगादड़ में मौजूद थे और धीरे धीरे ये इंसानो तक पहुंचने की तयारी कर रहे थे। 

कोरोना की लैब में तैयार होने वाली बात पर अब रिसर्च उठा रही है सवाल?

कोरोना और चमगादड़ के कनेक्शन पर दुनियाभर के वैज्ञानिको ने रिसर्च की है।  शोधकर्ताओ ने रिसर्च के नतीजे सामने किये है। पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता मेसिज बोनी के अनुसार चमगादड़ में दूसरे वायरस की मौजूदगी इंसानो में संक्रमण का खतरा और तेज़ कर सकती है।  यह रिसर्च कोरोना की उस थ्योरी पर सवाल उठा रही है जिसमे कहा था की इसे लैब में तैयार किया गया है। 

यह भी हो सकता है कि लैब में बनाने के बाद चमगादड़ में डाला हो, किन्तु 40 से 70 साल बाद इसका संक्रमण? या यह लैब में बना ही नहीं? यह जवाब देना अभी कठिन है। 

धीरे धीरे वायरस अपने पूर्वज वायरस से अलग हो गया। 

ग्लास्गो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता प्रो. डेविड रॉबर्ट्सन के अनुसार – महामारी फ़ैलाने वाला कोरोना वायरस चमगादड़ में मिलने वाले वायरस से काफी समान है।  दशकों तक यह समय के साथ अपने पूर्वज से अलग हो गया। प्रो. डेविड का कहना है कि – “हमे यह समझने की जरूरत है की यह इंसानो तक कहा और कैसे पंहुचा? यदि हम यह मान ले कि यह चमगादड़ से फ़ैल रहा है तो ऐसे समय में इसकी मॉनिटरिंग काफी जरूरी है।” 

क्या इसके पूर्वज से इसे लैब में अलग किया गया है? या फिर चमगादड़ द्वारा किसी इंसान तक यह पंहुचा? किन्तु कैसे?

वायरस के नए वाहक बनने की आशंका भी ज्यादा है। 

प्रो. डेविड का कहना है कि यदि यह वायरस लम्बे समय से आसपास रहा है तो इसका मतलब तो यह भी हो सकता है कि इसने अपना नया वाहक ढूंढ लिया है। जिसका मतलब संक्रमण किसी नए जीव के जरिए भी फ़ैल सकता है। नेचर माइक्रोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार – वर्तमान वायरस (Sars-Cov-2) के जीनोम सीक्वेंस का मिलान इसके पूर्वज (RaTG13) से किया तो दोनों में काफी समानताएं दिखी। 

हमरा सहयोग करे, कुछ दान करे , ताकी हम सचाई आपके सामने लाते रहे , आप हमरी न्यूज़ शेयर करके भी हमरा सहयोग कर सकते