1965 में जन्मे भारतीय-अमेरिकी नागरिक और वायर के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन को लेकर एक सनसनीखेज साजिश का खुलासा इन दिनों चर्चा में है | आईपीएस अधिकारी नागेश्वर राव सोशल मीडिया पर हिन्दू संस्कृति को तहत-नहस करने वाले ‘क्रिस्टो इस्लामी’ प्रयासों की पोल खोल रहे हैं। वे ऐसे तत्वों का खुलासा कर रहे हैं जिनका लक्ष्य मीडिया, सिनेमा और शिक्षा के माध्यम से हिंदुत्व को बर्बाद करना रहा है। आईपीएस अधिकारी नागेश्वर राव के इस ऐक्शन से मीडिया का एक वर्ग काफी विचलित नजर आ रहा है और उनके कार्य को उन्मादी करार दे रहा है |
सीबीआई को साप्रदायिक उन्माद फैलाने वाला बताया-
कोलंबिया विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त द वायर का सह संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन अपने ट्विटर पर सीबीआई को ही साम्प्रदायिक उन्माद फ़ैलाने वाला बताया है | वरदराजन नरेंद्र मोदी, अमित शाह और आरएसएस को मुस्लिम विरोधी करार देता है, उसने इस बात को भी स्वीकार किया कि, उसने हिंदुओं की सभ्यता के ख़िलाफ़ काम करके ही अपना करियर बनाया है। स्तम्भकार और एडवोकेट दिव्या सोती का कहना है कि, ये अमेरिकी पत्रकार हिन्दुओं को नीचे दिखाने के लिए हिंदुत्व को अंधविश्वास का एक संग्रह बता रहा है | जबकि खुद वरदराजन इब्राहमी शिक्षा और इब्राहमी मीडिया के लिए काम करता रहा है |
Story of Project Abrahamisation of Hindu Civilization
1.Deny Hindus their knowledge
2.Vilify Hinduism as collection of superstitions
3.Abrahamise Education
4.Abrahamise Media & Entertainment
5.Shame Hindus about their identity
6.Bereft of glue of Hinduism Hindu society dies pic.twitter.com/VM4pLcKKXN
— M. Nageswara Rao IPS (@MNageswarRaoIPS) July 25, 2020
एनआरसी को लेकर किया दुष्प्रचार-
वरदराजन ने द वायर पर मुस्लिमों को बेचारा और साम्प्रदायिक दंगों का शिकार दिखाने के लिए दिल्ली दंगों पर पुलिस की जांच पर सवाल खड़े किये थे । इसके अलावा एनआरसी को लेकर भी इसने देश को गुमराह करते हुए लिखा है कि, इसका मक़सद सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना है |
भाजपा मतदाताओं का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने के लिए बेताब है. ऐसे में एनआरसी का इस्तेमाल भारत का ध्रुवीकरण करने के लिए इस तरह से किया जा सकता है, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं | अपने भड़काऊ लेख में इसने आगे लिखा है कि, अगर हम अमित शाह के बयान को अक्षरश: लेते हैं तो जरूरी दस्तावेज न होने के कारण एनआरसी जैसी कवायद से भारत भर में जिन लोगों को निर्वासन का सामना करना होगा, वे मुस्लिम होंगे |
आगे उसका कहना है कि, शाह की यह योजना न सिर्फ सांप्रदायिकता, भय और लोगों को बांटने पर आधारित है, बल्कि यह झूठ पर भी टिकी है, ऐसा इसलिए है, क्योंकि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाइयों को शामिल करने की सरकार की योजना की एक निर्धारित तारीख (कट-ऑफ तारीख) है, जो 31 दिसंबर, 2014 है | 2015 और 2016 में सरकार ने पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम और विदेशियों विषयक अधिनियम में संशोधन करके यह घोषणा की थी कि इन तीन देशों के इन खास धर्मों के लोगों को भारत के कानून के हिसाब से कभी भी ‘अवैध अप्रवासी’ नहीं माना जाएगा, बशर्ते वे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आ गए हों |
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