Hemophilia Genetic or Asadhya है पर Bachav Sambhav है

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लखनऊ | हीमोफीलिया ये जिसे हम पैतृक रक्तस्त्राव के नाम से भी जानते हैं यह अनुवांशिक विकारों की श्रेणी में आता है | खासतौर पर पुरुष इस बीमारी से ग्रसित होते हैं और हीमोफीलिया औरतों के द्वारा दूसरों में फैलता है | अगर इसमें सावधानी ना बरती जाए तो यह बीमारी प्राणघातक भी बन सकती है | रक्त का स्त्राव इस बीमारी का सबसे मुख्या लक्षण है और इस स्थिति में सबसे ज्यादा सतर्क रहना चाहिए |

डॉ. सोनिया नित्यानंद (विभागध्यक्ष हिमैटोलाजी, एसजीपीजीआई) ने इसके बारे में विस्तार से बताया कि:

  • अनुवांशिक विकार होने के कारण इसमें रक्त का स्त्राव लम्बी अवधि तक होता है |
  • जब हमारे शरीर में रक्त प्रोटीन कम या नहीं होता जिसे क्लोटिंग फैक्टर के नाम से भी जाना जाता है तब ये बिमारी हमारे शरीर में उत्पन्न हो जाती है |
  • रक्तस्त्राव का कारण कुछ भी हो सकता है अब चाहे वो चोट लगने से हो या फिर अपने आप |
  • शरीर के जोड़, मांसपेशियां एवं आन्तरिक अंग रक्तस्त्राव के प्रमुख हिस्से हैं और इस रक्त का बहाव समाप्त नहीं होता खासकर अपने आप |
  • इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इस बीमारी को असाध्य रोगों की श्रेणी में रखा गया है और ये जीवन भर ऐसे ही चलती रहती है |
  • असाध्य बीमारी होने के कारण इसका समाप्त होना मुश्किल है पर कुछ तरीके और सावधानियां है जिनका पालन करके हम इसे नियंत्रण में रख सकते हैं |

आगे उन्होंने बताया कि जोड़ों में दर्द, सूजन और रक्त का स्त्राव या शरीर के ऊपर नीले निशान इसके लक्षण हैं | इसके अलावा अचानक नाक से रक्तस्त्राव, शरीर में अक्सर कमजोरी और चलने में समस्या होना भी इसके लक्षण हैं | और अगर ये रक्तस्त्राव दिमाग या फिर पेट की आंतों में शुरू हो जाये तो तुरंत इलाज करवाना चाहिए क्योंकि यह प्राणघातक हो सकता है |

डॉ. सोनिया नित्यानंद ने यह भी बताया अगर हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में फैक्टर 8 कम पाया जाता है तो इसे हीमोफीलिया A कहा जाता है | वही अगर फैक्टर 9 कम है तो इसे हीमोफीलिया B मानते हैं | इसकी एकमात्र औषधि यह है कि जिस भी फैक्टर की कमी पायी जाती है उसे पीड़ित व्यक्ति के शरीर में इंजेक्शन द्वारा नसों में डाला जाता है | इसके मरीजों को रोज़ व्यायाम करना चाहिए एवं रक्त से फैलने वाली बीमारियों से बचना चाहिए |

विनय मनचंदा (सचिव, हीमोफीलिया सोसाइटी) के अनुसार प्रदेश में 26 ऐसे केंद्र हैं जहाँ हीमोफीलिया का इलाज किया जाता है | परंतु सुविधाओं एवं धन की कमी के कारण फैक्टर्स की सप्लाई में मुश्किल आती है | पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में 42.3 करोड़ का बजट मिला था और इस बार उसे बढ़ा के 50 करोड़ के बजट का प्रस्ताव रखा गया है | बजट अभी आया नहीं पर फिर भी विनय मनचंदा ने हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को प्राथमिकता देने की अपील सरकार से की है |

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