केंद्र सरकार ने गांधी परिवार के तीन ट्रस्टों की जांच करने के लिए एक पैनल का गठन किया है। गृह मंत्रालय ने बुधवार को राजीव गांधी फ़ाउंडेशन सहित तीन ट्रस्टों द्वारा नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए एक अंतर-मंत्रालय पैनल का गठन किया है।
गृह मंत्रालय ने गांधी परिवार से जुड़े तीनो ट्रस्टों द्वारा नियमों के कथित उल्लंघन की जांच के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि –
अंतर-मंत्रालयी टीम तीन ट्रस्ट – राजीव गांधी फ़ाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किए गए कानूनी नियमों के कथित उल्लंघन की जांच करेगी।
MHA के प्रवक्ता ने ट्वीट किया –
“MHA द्वारा राजीव गांधी फ़ाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किए गए विभिन्न कानूनी नियमों के उल्लंघन जैसे PMLA, इनकम टैक्स एक्ट, FCRA, आदि की जांच के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है।”
MHA sets up inter-ministerial committee to coordinate investigations into violation of various legal provisions of PMLA, Income Tax Act, FCRA etc by Rajiv Gandhi Foundation, Rajiv Gandhi Charitable Trust & Indira Gandhi Memorial Trust.
Spl. Dir of ED will head the committee.
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) July 8, 2020
प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशक अंतर-मंत्रालयी समिति के प्रमुख होंगे जो इस समिति को नियंत्रण करेंगे। सूत्रों का कहना है कि जांच में कड़ी नज़र मनी लॉन्ड्रिंग, इनकम टैक्स में हेरफेर और विदेशों से प्राप्त धन को राजीव गांधी फ़ाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा दान या योगदान रूप में लेना, आदि पर किया जाएगा।
सूत्रों द्वारा यह भी जानकारी मिली है कि FCRA नियमों के उल्लंघनों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा की जाएगी, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीएमएलए का उल्लंघन, कर चोरी और धन के मोड़ को इनकम टैक्स विभाग द्वारा जांचा जाएगा।
यह भी कहा जा रहा है कि – “विभिन्न एजेंसियों के अलग-अलग मंत्रालयों के अधीन आने के बाद अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है।”
राजीव गाँधी फ़ाउंडेशन की जानकारी।
राजीव गांधी फ़ाउंडेशन की वेबसाइट के अनुसार, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी के लक्ष्य को साकार करने के लिए इसे 21 जून 1991 को स्थापित किया गया था। तो क्या थे राजीव गाँधी के उद्देश्य? क्या राजीव गाँधी नियमो का उलंघन चाहते थे? यह सभी सवालो का जवाब तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
फ़ाउंडेशन की मुख्य अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। इस फ़ाउंडेशन के डॉ मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, डॉ अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा अन्य ट्रस्टी है।
राजीव गाँधी फ़ाउंडेशन की वेबसाइट के अनुसार, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (RGCT) एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसे 2002 में देश में विशेष रूप से ग्रामीण ग़रीबों के विकास और ज़रूरतों को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया था।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी अन्य लोगों के साथ trustees की सूचि में शामिल है।
BJP द्वारा लगाए गए ये आरोप!
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि राजीव गांधी फ़ाउंडेशन द्वारा सोनिया गांधी के नेतृत्व में 2005 से 2009 के बीच चीनी दान स्वीकार किया गया था।
भाजपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि राजीव गाँधी फाउंडेशन (RGF) को हर साल चीनी दूतावास से 2005 से 2009 के बीच और लक्ज़मबर्ग के “टैक्स हैवन” से दान मिलता है, जो 2006 से 2009 के बीच “हवाला लेनदेन” से भरा हुआ है।
जेपी नड्डा ने कहा था –
“आरजीएफ ने चीनी एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टेक्ट के साथ काम किया, जो चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग का सिर्फ एक वाहन है, जो अन्य देशों में शीर्ष आवाज़ों में घुसपैठ करने और प्रभावित करने के लिए है। सोनिया गांधी को जवाब देना चाहिए कि इस चीनी सेना का प्रभाव भारत में कितना हुआ और घुसपैठ कितनी बार हुई “।
भाजपा के आरोपों के बाद, कांग्रेस ने दावों को खारिज कर दिया और कहा कि इसका उपयोग कल्याणकारी लोगो के हित के उद्देश्यों के लिए किया गया था।
कांग्रेस ने एक बयान में कहा, चीनी दूतावास से दान का उपयोग विकलांग व्यक्तियों के हित के लिए किया गया था, और वहीँ PMRF से प्राप्त अनुदान का उपयोग सुनामी राहत कार्य के लिए किया गया था।
पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि चीनी दूतावास से 1.45 करोड़ रुपये का दान राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा विकलांग व्यक्तियों के कल्याण और भारत-चीन संबंधों पर शोध के लिए इस्तेमाल किया गया था।
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