पायलट और गहलोत की राजस्थान जंग का आज High Court करेगा फैसला

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राजस्थान में राजनीतिक उथलपुथल का दौर अभी थमा नहीं है परंतु आज इससे जुड़ा हुआ एक बहुत ही एहम फैसला आने वाला है | सी पी जोशी (विधानसभा अध्यक्ष, राजस्थान) द्वारा 18 विधायकों को दल बदल के सिलसिले में नोटिस भेजा था और इसमें सचिन पायलट भी शामिल हैं | आज राजस्थान की हाई कोर्ट इस सन्दर्भ में एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला दे सकती है | जोशी द्वारा विधायकों को अनुच्छेद 191 की 10वीं अनुसूची एवं राजस्थान की विधानसभा के नियम 1989 को आधार बनाते हुए नोटिस दिया गया था |

 

पायलट खेमे ने अपनी बहस पूरी कर ली है-

सचिन पायलट द्वारा बहस को अदालत में पूरा किया जा चुका है और इन विधायकों के वकील हरीश साल्वे हैं | साल्वे द्वारा अदालत में कहा गया कि जितने भी विधायकों को नोटिस दिया गया है उनमे से किसी ने भी पार्टी के लिए किसी प्रकार की बयानबाजी नहीं की है एवं ऐसा कोई कृत्य नहीं किया जो षड्यंत्रकारी माना जाए | अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी प्रकार का बयान दिया जाता है तो उसे पार्टी से जोड़ना सही नहीं है | इसके उपरांत भी अगर ऐसा किया जाए तो यह धारा 19(1) (क) के हिसाब से आज़ादी का उल्लंघन माना जायेगा और इसके लिए नोटिस भेजना उचित प्रक्रिया नहीं है |

कानून के हिसाब से क्या है सही ?

सन 1985 में दल बदलने पर भारतीय संसद द्वारा एक कानून को पारित किया गया था और इसमें काफी सारी चीज़ें जोड़ी गयी थी | इसके हिसाब से दल बदलने वाले सदस्यों की योग्यता एवं सदस्यता पूर्णतः निरस्त करने के प्रावधान बनाये गए थे |

संविधान कहता है कि विधानसभा अध्यक्ष को सभा की शक्ति एवं विशेष अधिकारों का संरक्षण करना चाहिए और यहाँ अध्यक्ष की भूमिका एक न्यायाधीश के समतुल्य होती है |

आज होगी सुनवाई-

सोमवार यानि 20-07-2020 को राजस्थान के हाई कोर्ट (उच्च न्यायालय) में सुनवाई होगी और इसे इन्द्रजीत मोहंती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ करेगी | सचिन पायलट के खेमे से उनके वकील हरीश साल्वे ने अपनी बहस पूर्ण रूप से समाप्त कर दी है | उनके द्वारा कहा गया कि बागी विधायकों ने कांग्रेस के ऊपर किसी प्रकार का बयान नहीं दिया |

विधायकों द्वारा अनुच्छेद 19 (1) (अ) के तहत एक व्यक्ति विशेष के खिलाफ दिया गया है और यह अभिव्यक्ति की आजादी के कानून के अंतर्गत आता है | अगर इस स्थिति में भी इन विधायकों को कानूनी नोटिस जारी किया जा रहा है तो इसे अनुच्छेद 19 (1) (अ) का उल्लंघन माना जायेगा | परंतु इस दलील से सचिन पायलट और उनके खेमे को राहत मिलेगी अथवा नहीं इसका पता फैसला आने के बाद ही चलेगा |

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