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संपादक की कलम से |

हाय रे ये गरीबी |

गाव के चौपाल पर लल्लन दादा बोले  “बच्चा तुम का जानो का होत है गरीबी | तुम तो बुसट और पतलून पहिन के मोटरसैकिली पे घूम रहे हव | बचपन से आज तक हमार जिनगी गरीबी मा कटी अहे | पाहिले सही रहा हमार बाबू जमीदार  और बडके बाबू के यहाँ काम कई आवत रहे तो हम महिन्नन बैठ के खात रहे ,लेकिन अब तो ससुर क नाती चार दिन तक काम करो तो सब्जियों के भरे के ना होत | अब तू बतावा नून रोटी खाय के अलावा सब्जी खरीदी, की और लोगन का देखी |बचवा पिछली बार हमका काम नैय मिला हम चार दिन भूंखे रहे फिर बड़का मंगल के भंडारा खाई के पेट भरे |”  ये तो है आम आदमी कितने भी लोग भारत में अमीर क्यों न हो मगर भारत में अभी भी गरीबी बहुत है |अभी भी गाव या शहर दोनों में एक तबका झोपड़पट्टी में निवास  करता है | हमे सम्पूर्ण भारत को बनाने के लिए इन तबको को रोजगार देना होगा | ताकि भारत का हर परिवार खुशहाल रहे और सम्पूर्ण भारत का निर्माण हो सके | हमे जनता को जगाना होगा तथा सरकार के साथ आगे वाना होगा | चाहे शिक्षा के क्षेत्र में या सामाजिक गतविधियों को लेकर या महिला सुरक्षा को लेकर सभी जरुरी है  धन्यबाद ! आगे की बाते कल फिर से ………….

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One comment

  1. Bahut jamini baton ko logon se rubru kara rahe h

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