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भारत की शिक्षा व्यवस्था |

                               भारत में शिक्षा व्यवस्था एक आम चलन की तरह देखा जाता है | जबकि हमे यहाँ की शिक्षा व्यवस्था को नजरंदाज नहीं करना चाहिये भारत में क्या सरकारी स्कूल के अध्यापक कम पढ़े लिखे होते है या वो पढ़ाना नहीं चाहते है या फिर एक अच्छी  पढाई के लिए उनको  वो सुबिधाये नहीं मिल पति जो उन्हें चाहिये | हम देखते है एक तरफ जहा एक प्राइवेट स्कूल में अकुसल  अध्यापक मेहनत करके बच्चे को एक अच्छी शिक्षा देरहे है वही भारत में सरकारी स्कूलो  में कुसल अध्यापक कुछ भी नहीं पढ़ता है | आखिर एसा क्यों | इसका जवाब हमे कुछ प्राइवेट स्कूलो में और कुछ सरकारी स्कूलो में जाने से प्राप्त हुआ |

     एक तरफ जहा प्राइवेट स्कूलो में अकुशल अध्यापक बच्चो को सिखाने के लिए तरह तरह के प्रयोग रोजमर्रा करते आ रहे है वही दूसरी तरफ सरकारी स्कूल का अध्यापक जो कुछ करना चाहते है या जो कुछ करना चाहिये उसमे भी आलस दिखाते है | सरकारी स्कूल के अध्यापक हर एक काम बिना मन के करते है | अगर वो कम को मन से करने लगे तो उनके पढाये बच्चे किसी भी सूरत में प्राइवेट स्कूल के बच्चो से तेज होंगे |

   इस शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए क्या हम कुछ नहीं कर सकते है ,या कुछ कर सकते है  सबसे पहले हमे ये सोच बदलनी पड़ेगी की सरकारी स्कूल में जो बच्चे पढ़ते है वो गरीब के बच्चे होते है | और उनको पढना लिखना कुछ भी नहीं आता और न ही उनके पास तमीज नाम की भी कोई चीज होती है | क्युकी हमारे देश में जितने अमीर लोग है उसमे से 80% लोग गरीब परिवार से है |और जितने सफल व्यक्ति हो रहे है एक गरीब परिवार से हो रहे है |कभी भी गरीब के बच्चे की गरीबी का उपहास नहीं उड़ना चाहिये क्युकी वही चलकर आगे एक अछे नेता या एक अछे अधिकारी होते है | उनके अन्दर गरबी की मर सहते सहते वो छमता आ जाती है जो छमता किसी लक्ष्य तक आसानी से पंहुचा दे |और समाज की मार से वो एक बड़ा लक्ष्य हासिल कर  लेते है |

  भारत के गरीब बच्चो को अगर वो सब सुबिधाये मिलने लगे जिनकी उनको जरुरत है तो वो गरीब बच्चे म्हणत करके कामयाबी का सिखर जरुर चूमेंगे | इन बच्चो को आगे बढाने के लिए हमे आपका साथ चाहिये | ताकि हमारे देश में उपजी दो संस्कृतियों को एक किया जा सके पहली भारत की संस्कृति तथा दूसरी इंडिया की संस्कृति |

कुछ कारन और है जिससे वो बच्चे नहीं पढ़ पाते जिनको आज पढना चाहिये हममें से कोई अपने बच्चे को गरीबो के बच्चो के साथ पढने के लिए बैठा ही नहीं सकता और सरकारी स्कूल में ना बाबा ना | एसब्कारने से हमारा स्वाभिमान नहीं गिर जायेगा सबलोग थू थू न करेंगे हमपर कुछ लोग तो ये भी कहेंगे अपने बच्चे को नहीं पढ़ा पा रहे है भिखारी होंगे यही बोलेंगे , तो बोलेंगे बोलने दो अगर आप अपने  बच्चो से सरकारी  स्कूल में भेज क्र अध्यापको से एक अछि शिक्षा दिला पाते है तो आपसे महँ कार्य कोई नहीं क्र पायेगा क्युकी आप और आपके बच्चे की वजह से वो बच्चा पढ़ प् रहा है | ये धरणा छोड़नी होगी की क्या कहेंगे लोग इसे लोग भाड में जाये क्युकी सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग |

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