जब भारत मौसम विभाग (IMD) ने 16 अक्टूबर 2025 को आधिकारिक तौर पर दक्षिण‑पश्चिमी मानसून के पूर्ण हटने की घोषणा की, तो पूरे देश में एक नई मौसमीय लहर – दक्षिण‑पूर्वी मानसून – की शुरुआत हो गई। इस बदलाव ने तमिलनाडु, केरल, कल्याण (पुडुचेरी), कड़कन (काराईकल), आंद्रा प्रदेश के तटीय हिस्से, रायलसेमा, कर्नाटक के दक्षिणी इलाके और केरल‑महें सहित कई दक्षिणी राज्यों में भारी बारिश और संभावित सायक्लोन ‘Montha’ की चेतावनी उत्पन्न कर दी।
पिछले मॉन्सून सीजन और दक्षिण‑पूर्वी मानसून की पृष्ठभूमि
दक्षिण‑पश्चिमी मानसून आम तौर पर जून से सितंबर तक भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को जल देता है, परंतु उसका धीरे‑धीरे पीछे हटना हमेशा पावन संकेत नहीं होता। पिछले वर्षों में हमने देखा है कि जैसे‑जैसे मानसून दक्षिण‑पश्चिम से हटता है, दक्षिण‑पूर्वी (नॉर्थ‑ईस्ट) मॉन्सून का प्रभाव बढ़ता है, जो विशेषकर दक्षिणी प्रायद्वीप में अक्टूबर‑नवंबर में भारी वर्षा लाता है। इसी क्रम में, 2025 का मॉन्सून भी अपने निर्धारित समय पर 16 अक्टूबर को पीछे हट गया, और अब दक्षिण‑पूर्वी मानसून उजागर हो रहा है।
इंडियन मौसम विभाग का आधिकारिक घोषणा
IMD ने पश्चिमी मानसून के पूर्ण हटने को 16 अक्टूबर 2025 को All India Weather Summary and Forecast Bulletin में दर्ज किया। उसी दस्तावेज़ में बताया गया कि अब नॉर्थ‑ईस्टर्न मॉन्सून दक्षिणी राज्यों में प्रमुख भूमिका निभाएगा। विभाग ने 14 अक्टूबर की प्रेस रिलीज़ में पहले ही चेतावनी जारी की थी कि अगले सात दिनों में केरल और तमिलनाडु में अतिवृष्टि की संभावना है। यह संकेत आगे के दो हफ़्तों में बढ़ने वाले अल्पकालिक चक्रवातों के लिए तैयार रहने का संदेश देता है।

आगे आने वाली बारिश के मॉडल और संभावित सायक्लोन
IMD के विस्तारित रेंज फोरकास्ट बुलेटिन (16 अक्टूबर) में बताया गया कि दक्षिण‑पूर्वी अरब सागर के ऊपर एक सायबरीक साइक्लोनिक सर्कुलेशन विकसित हो रहा है, जिससे 18 अक्टूबर के आसपास एक लो‑प्रेशर एरिया बन सकता है। इस प्रणाली के 48 घंटे के भीतर डिप्रेशन में बदलने की संभावना है, जिससे तेज़ हवाएँ और भारी वर्षा आएगी। वहीं, बे‑ऑफ़‑बंगलादेश में 22 अक्टूबर के आसपास एक और लो‑प्रेशर एरिया गठन की संभावना है।
उल्लेखनीय बात यह है कि यदि अरब सागर की यह प्रणाली अपना मार्ग जारी रखती है तो वह सायक्लोन ‘Montha’ का रूप ले सकती है, लेकिन विशेषज्ञों ने कहा है कि यह भारतीय तट से सुरक्षित दूरी बनी रखेगा। फिर भी, इस सायक्लोन के कारण 17‑22 अक्टूबर तक केरल, कर्नाटक के तटीय हिस्से और कोकन‑गोवा में बिखरी हुई बारिश और गरज के तूफ़ान संभव हैं।
प्रभावित राज्य और स्थानीय उपाय
IMD ने पहले ही दक्षिणी भारत के लिए विस्तृत क्षेत्रीय पूर्वानुमान जारी कर दिया है:
- तमिलनाडु, पुडुचेरी एवं कड़कन में 23 अक्टूबर तक भारी‑बहुत भारी बारिश, विशेषकर चेन्नई, कूदालोर और नगपतिनम में।
- केरल और महे में 22‑24 अक्टूबर के दौरान इडुकी, वायनाड और कोझिकोड जैसे मध्य‑उत्तरी जिलों में बहुत भारी वर्षा की उम्मीद।
- कर्नाटक के तटीय और दक्षिणी अंतर्गत (बेंगलुरु सहित) में 25 अक्टूबर तक इंटर्मिटेंट भारी बारिश और गरज के साथ तूफ़ान।
- आंद्रा प्रदेश के तटीय क्षेत्रों, रायलसेमा और तेलंगाना में भी 22‑26 अक्टूबर के बीच बंधी हुई बरसात।
इन सब के साथ, IMD ने कई जिलों में फ़्लैश‑फ़्लड चेतावनी जारी की है। स्थानीय प्रशासन ने निवासियों को बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में गैर‑ज़रूरी यात्रा से बचने, जल‑स्रोतों के निकट रहने वाले घरों में बैकअप पावर सिस्टम तैयार रखने और आपातकालीन निकास मार्गों की जाँच करने का आग्रह किया है। दिल्ली‑एनसीआर में भी 5‑6 अक्टूबर के बीच हल्की बारिश और बादलों का प्रभाव रहा, परंतु अब इस क्षेत्र में अधिकतर मौसम साफ़‑साफ़ रहेगा।

आगे क्या देखा जाएगा?
सप्ताह 1 (16‑22 अक्टूबर) में दक्षिणी प्रायद्वीप में औसत से अधिक बारिश की संभावना है, जबकि उत्तर‑पूर्वी भारत में कम़ बारिश होगी। सप्ताह 2 (23‑29 अक्टूबर) में बे‑ऑफ़‑बँगालादेश में बनने वाला लो‑प्रेशर एरिया पश्चिम‑उत्तरी की ओर बढ़ेगा, जिससे तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, आंद्रा प्रदेश के तट और रायलसेमा में फिर से बहुत‑बहुत भारी बारिश हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सायक्लोन ‘Montha’ अपने रास्ते में समुद्री तापमान को अंततः खो देता है, तो वह बड़े नुकसान से बचेगा, परंतु उससे उत्पन्न बवंडर हवाएँ और लहरें तटीय क्षेत्रों में जल‑प्रवाह को बढ़ा सकती हैं।
संक्षेप में, यह मौसम परिवर्तन न केवल कृषि को प्रभावित करेगा, बल्कि बुनियादी ढांचे, यात्रा और दैनिक जीवन पर भी गहरा असर डाल सकता है। इसलिए, IMD की चेतावनियों को गंभीरता से लेते हुए, लोगों को सतर्क रहना और स्थानीय प्राधिकरणों के निर्देशों का पालन करना जरूरी है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
दक्षिण‑पूर्वी मानसून के दौरान सबसे जोखिम भरे क्षेत्रों कौनसे हैं?
तमिलनाडु (विशेषकर चेन्नई, कूदालोर, नगपतिनम), केरल (इडुकी, वायनाड, कोझिकोड) और आंद्रा प्रदेश के तटीय जिलों में अगले दो हफ़्तों में तेज़ बारिश, बाढ़ और हल्की बवंडर हवाएँ आने की संभावना है। इन क्षेत्रों में फलों की फसल, बुनियादी ढांचा और यातायात पर विशेष प्रभाव पड़ेगा।
सायक्लोन ‘Montha’ कब और कहाँ बना सकता है?
IMD के अनुमान के अनुसार, अरब सागर में 18‑22 अक्टूबर के बीच एक लो‑प्रेशर एरिया विकसित हो सकता है, जो 22 अक्टूबर तक सायक्लोन ‘Montha’ में बदल सकता है। हालांकि विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि यह सायक्लोन भारतीय तट से सुरक्षित दूरी बनाए रखेगा, फिर भी इसके आसपास की जलवायु अस्थिर रहेगी।
इंडियन मौसम विभाग ने कौन‑सी सावधानियां जारी की हैं?
IMD ने केरल, तमिलनाडु और आंद्रा प्रदेश के कई जिलों में फ़्लैश‑फ़्लड चेतावनी जारी की है और लोगों से अनुरोध किया है कि वे गैर‑ज़रूरी यात्रा से बचें, घर के भीतर जल‑संकट के लिए आपातकालीन साधन तैयार रखें और सूचनाएँ लगातार अपडेट रखें।
आगामी दो हफ़्तों में तापमान में क्या बदलाव रहने की उम्मीद है?
दक्षिण‑पूर्वी मानसून के कारण कई दक्षिणी जिलों में दिन के तापमान 29‑32 °C तक गिर सकता है, जबकि रात के समय 22‑24 °C के आसपास रहेगा। उत्तर‑पूर्वी भारत में ठंडा वायुमंडल रहेगा, जिससे कुछ जगहों पर 15‑18 °C तक तापमान गिर सकता है।