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आतंकवाद बनाम भारत

 

लेखक परिचय :- लेखक अंकज तिवारी प्रसिद्धिप्राप्त राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर भारतवर्ष में ख्यातिप्राप्त हैं |

 

आतंकवाद एक एक विकृति के जैसा है, सही मायनो में यह समूचे दुनिया तथा हर जाति-धर्म, सम्प्रदाय के नाम पर कलंक है | आतंकवाद को एक भटकी मानसिकता का प्रतिफल कहा जा सकता है | सदी पूर्व पृथ्वी के कई भूभागों पर पहले लोग जिस सामाजिक कुप्रथा के खात्मे के लिए आन्दोलन तथा अपनी आवाज़ बुलंद करते थे आज के समय में कुछ लोगों ने अपनी राजनीति तथा निजी स्वार्थ के लिए नौजवानों के समूह को झूठे तथ्यों का उदाहरण देकर उनके मन में समाज के प्रति द्वेषभाव कूट-कूट कर भरने का काम कर रहे हैं जो विकट आतंकवाद का रूप लेता जा रहा है| जिसके प्रतिफल में  आज दुनिया के कई देश आतंकवाद जैसी बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं | आतंकवाद से निपटने का भारत का रवैया बहुत लचर है, जिसका एक बड़ा कारण भारत की गन्दी राजनीती भी है | विश्वपटल पर राष्ट्र की गरिमा के महिमामंडन के शौर्य के प्रशंसा का जब भी समय आता है तो बिपक्षी नेता उनके बचाव में उतर आते हैं, मानो ऐसा लगता है जैसे वह सब उनके आका हैं |

आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मुहीम की यही सबसे बड़ी विसंगति है। शांति किसे नहीं सुहाती, लेकिन मौत के कुछ सौदागरों को दुनिया का अमन चैन रास नहीं आ रहा। ये आतंक का दानव जब किसी देश को अपना निशाना बनाता है, तो उसकी निर्माता महाशक्तियां उसे धैर्य और शांति रखने का उपदेश देती नजर आती हैं, लेकिन जब बात अपने पर आती हैं, तो ये एकजुट होकर पूरी दुनिया इस आतंक के रक्तबीज के संहार का आवाह्नन करते हैं। जिसका बड़ा उदाहरण फ़्रांस, अमेरिका तथा रूस दे चुके हैं | पेरिस हमला मुंबई हमले के समानांतर हमला था परन्तु फ़्रांस ने तत्परता से 24 घंटे के भीतर ही आतंकी ठिकानो का तहस-नहस कर पूरी दुनिया को एक मजबूत सन्देश देने का काम किया था | अमेरिका ने आतंक का बड़ा चेहरा ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के अंदर उसके ठिकाने पर आक्रमण कार मार गिराया | ऐसे कई उदाहरणों ने आतंकवाद के खिलाफ आँखे खोलने का काम किया | परन्तु भारत का अब तक ऐसा कोई एतिहासिक कार्यवाही न करना आतंकियों के मनोबल को मजबूत करने के जैसा है |

 

पिछले 15 सालों में दुनिया भर में मारे जाने वाले लोगों की संख्या में 15 गुना की बढ़ोत्तरी  हुई है। कोई भी आतंकी घटना लम्बे समय के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में अपना व्यापक असर छोड़ती है। तात्कालिक नुकसान के इतर इस दीर्घकालिक प्रभाव के तहत लोगों में अवसाद घर कर जाता है। सामजिक वैमनस्‍य बढ़ता है। राजनीतिक असर के रूप में नियम कानून कठोर किए जाने से विभिन्न देशों के बीच रिश्तों पर असर पड़ते हैं।  आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित 11 में से 10 देशों में शरणार्थी और आंतरिक विस्थापन की दर सर्वाधिक है। हमारे देश भारत की सबसे बड़ी बिडम्बना यह है ऐसा लगता है कि आतंकवादी हमले के बाद यहाँ का आतंकवादियों पर कार्यवाही का मुख्य निर्देश अमेरिका से लेना पड़ता है, जिसपर अमेरिका शान्ति बनाये रखने के लिए चुप रहने का ज्ञान देकर भारतीय शूरवीरों के लहू को ठंडा करने का काम कर रहा है | हमे इस बात की सबसे बड़ी सीख नन्हे-मुन्हे बच्चो से लेना चाहिए अनायास मिले मार पर साथी को तात्कालिक थप्पड़ का रसीद मिलता है | ऐसी ही कार्यवाही की सबसे सख्त जरुरत हमारे देश को है | पिछले 15 सालों में दुनिया भर में मारे जाने वाले लोगों की संख्या में 15 गुना की बढ़ोत्तरी  हुई है। कोई भी आतंकी घटना लम्बे समय के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में अपना व्यापक असर छोड़ती है। तात्कालिक नुकसान के इतर इस दीर्घकालिक प्रभाव के तहत लोगों में अवसाद घर कर जाता है। सामजिक वैमनस्‍य बढ़ता है। राजनीतिक असर के रूप में नियम कानून कठोर किए जाने से विभिन्न देशों के बीच रिश्तों पर असर पड़ते हैं।  आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित 11 में से 10 देशों में शरणार्थी और आंतरिक विस्थापन की दर सर्वाधिक है।

 

मणिपुर मे आतंकी हमले मे अठारह भारतीय जवानों की हत्या का बदला लेने मे भारतीय सेना ने जिस साहस व पराक्रम का परिचय दिया वह प्रशंसा के योग्य है । इसके साथ ही जिस राजनीतिक इच्छा शक्ति के बल पर यह संभव हो सका उसकी भी प्रशंसा की जानी चाहिए।

 

इससे  करोडों भारतीयों का सर गर्व से ऊपर उठना स्वाभाविक ही है | दर-असल पडोसी देश की करतूतों से देश के अंदर एक ऐसी भावना जाग्रत हो चुकी है जिसमें यह माना जाने लगा है कि बिना सख्ती और ठोस कार्यवाही के यह सब रूकने वाला नहीं | इसलिए जब आतंकवादियों को उन्ही की भाषा मे भारतीय सेना ने जवाब दिया तो देश के अंदर एक देशप्रेम और हर्ष की लहर का संचार होना स्वाभाविक ही है।

 

दर-असल उत्तर पूर्व मे आतंकवाद का मामला हो या फ़िर सीमा पर पाकिस्तान व चीन की तरफ़ से होने वाली घुसपैठ, इससे देश की सुरक्षा पर कुछ सवाल उठते रहे हैं | पिछ्ली कांग्रेस सरकार के अंतिम दिनों मे जिस तरह चीन ने कुछ क्षेत्रों में गंभीर घुसपैठ की घटनाओं को अंजाम दिया उससे देश के लोगों मे एक असुरक्षा की भावना जाग्रत हुई थी और इन्हीं दिनों पाकिस्तानी सैनिकों ने लश्कर-ए-तैबा के सहयोग से उरी सेक्टर में कुछ सैनिकों की हत्या भी की ।तब  भारत की ओर से सिर्फ़ एक कमजोर विरोध दर्ज कर चुप्पी साध ली गई थी | सरकार के इस रवैये से भी लोग आहत हुए और उनके स्वाभिमान को चोट लगी|  बिगत दिनों पूर्व हुए कुपवाड़ा हमले तथा नक्सली हमले ने देश में एक चिंगारी सा जालाने का काम किया है | देश के नौजवानों के लहू में दुश्मनों को करारा जवाब देने का उनका जवाब आप अपने किसी भी पडोसी से चर्चा कर जान सकते हैं |

 

भारत को अब हर आतंकी घटना पर बड़ी कार्यवाही का कार्य करना होगा, यह हमारे देश के सम्मान का एक बड़ा विषय बनता जा रहा है, सरकार को चाहिए छोटी से छोटी वार पर भी करारा जवाब देकर नौजवानों का आत्म्ब्विश्वास जीतने का काम करना होगा |

aatankwad par nibandh
Next सदन में भी जनता की बड़ी फ़िक्र रहती है -अभिजीत सिंह सांगा

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