
पूरे विश्व में व्यापार के लिए, संस्था के लिए एवं आपस में लेनदेन करने के लिए करेंसी यानि मुद्रा की आवश्यकता होती है | हर देश की मुद्रा एक सी नहीं होती जैसे अमेरिका में डॉलर है वैसे ही भारत में रुपये चलता है | यह करेंसी फिजिकल होती है जिसका मतलब इसे देखा जा सकता है और छुआ भी जा सकता है | परंतु क्रिप्टो करेंसी ठीक इसका उल्टा होती है जिसे देखा भी नहीं जा सकता और महसूस भी नहीं किया जा सकता क्योंकि यह वर्चुअल करेंसी होती है | इसके बावजूद यह कुछ सालों से काफी लोकप्रिय हो रही है |
क्या होती है क्रिप्टो ?
यह करेंसी पूर्णतः कंप्यूटर की अल्गोरिथम पर बनी हुई है और यह पूरी तरह से स्वतंत्र भी है | इसके काबू में रखने के लिए कोई अथॉरिटी नहीं है और ना ही इसकी कोई सीमा है क्योंकि कोई भी देश इसका संचालन नहीं करता | इस डिजिटल करेंसी के लिए क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल होता है और जब भी किसी सामान की खरीदी होती है या फिर सर्विस खरीदने की ज़रुरत होती है तब इसे उपयोग में लाया जाता है |
2009 में इस करेंसी को शुरू किया गया था और इसका नाम “बिटकॉइन” रखा गया था | सतोषी नाकमोतो नामक एक जापानी इंजिनियर के द्वारा इसे बनाया गया था | शुरुआत में यह कुछ ख़ास प्रभावशाली नहीं थी लेकिन कुछ समय में क्रिप्टो करेंसी के रेट ऐसे उड़े कि लोगों के होश उड़ गए | वर्तमान में करीबन 100 प्रचलित करेंसी हैं जो इलेक्ट्रानिकली कार्यरत हैं एवं ये सारी peer to peer (p2p) हैं |
क्रिप्टो करेंसी वैध या अवैध-
ऐसा सवाल मन में कई बार आता है कि क्रिप्टो करेंसी वैध है या अवैध पर यह पूर्णतः आपके देश पर निर्भर है | कई देशों में इसका प्रचलन काफी अधिक है वही कुछ देशों ने इस पर प्रतिबन्ध लगा रखा है | वहीँ कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने इस पर पूर्ण प्रतिबंद नहीं लगाया है | भारत में इसका रुझान काफी देखने को मिल रहा है और सरकार ने भी इस करेंसी को लेकर सकारात्मक सोच दिखाई है |