सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार नाग पंचमी पर शुभ संयोग बन रहा है। देश की आजादी के बाद ऐसा दूसरा मौका है जब 15 अगस्त के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जायेगा | 38 साल पहले 15 अगस्त 1980 को नागपंचमी आई थी। देश के सुविख्यात ज्योतिषाचार्य डा० सुरेन्द्र तिवारी जी के अनुसार नागपंचमी के बिभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी -:
सनातन धर्म में नागों की पूजा का विशेष महत्व है। वेदों, पुराणों में नागों को सम्मानीय तथा पूज्यनीय स्थान प्राप्त है। नागों का संबंध हमारे देवी-देवताओं से भी रहा है इसलिए भी ये पूजनीय है भगवान शंकर नागों को श्रृंगार के रूप में अपने गले में धारण किये रहते हैं तथा भगवान विष्णु की शैया भी शेषनाग जी है। स्कंदपुराण के अनुसार नागपंचमी के दिन नाग पूजा करने से नागदेवता के काटे जाने का भय नहीं रहता। साथ ही किसी भी जहरीले जीव-जंतु से कभी कोई खतरा नहीं रहता। नाग पूजा करने से भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है। इतना ही नहीं जन्म कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष, सर्प दोष और अनिष्ट ग्रहों की शांति भी नाग पंचमी की पूजा से होती है। ज्योतिष के अनुसार जिस किसी की कुंडली में कालसर्प दोष होता है नागपंचमी के दिन विशेष पूजा करने से यह दोष दूर हो जाता है।
नागपंचमी पर इस बार बेहद शुभ संयोग बन रहा है। इसलिए नाग के 12 स्वरूपों की पूजा एक खास विधि अनुसार करेंगे तो भगवान भोलेनाथ खुश होंगे और हर मनोकामना पूर्ण करेंगे।
नाग पंचमी के दिन नागराज व उनके 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। जो ये हैं-
अनंता, वासुकी, शेष, कालिया, तक्षक, पिंगल, धृतराष्ट्र, कर्कोटक, पद्मनाभ, कंबाल, अश्वतारा, और शंखपाल। इस दिन कालसर्प दोष का विशेष पूजन भी होता है।
नागपंचमी का शुभ मुहूर्त
इस बार 15 अगस्त के दिन नागपंचमी पर स्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। ज्योतिष में इस योग को बहुत ही शुभ योग माना गया है। नागपंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 54 में 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
ऐसे दूर करें कालसर्प दोष
अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष है तो नागपंचमी के दिन पूजा करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। कालसर्प दोष को दूर करने के लिए यह दिन बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन नागों की पूजा और ऊं नम: शिवाय का जप करना फलदायी होता है। इसके अलावा इस दिन पर रुद्राभिषेक करने से भी जातक की कुंडली से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
नागपंचमी पूजा विधि
प्रातः स्नानादि से निवृत्त होने के बाद अपने पूजा स्थान में बैठकर भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने तांबे के पूजा पात्र में चांदी या तांबे के नाग का जोड़ा रखकर उसे पहले गंगाजल, फिर कच्चे दूध और फिर गंगाजल से स्नान करवाएं। इसके बाद कपड़े से पोंछकर पूजा स्थान में विराजित करें। नाग पर चंदन का टीका लगाएं। सफेद पुष्प चढ़ाएं और कच्चे दूध का भोग लगाएं। इसके बाद महामृत्युंजय मंत्र की एक माला जाप करें।
नागपंचमी पूजा के लाभ
यदि आपकी जन्मकुंडली में कालसर्प दोष है तो नागपंचमी के दिन भगवान शिव का अभिषेक करते हुए चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करें और अभिषेक समाप्त होने के बाद उसे तांबे के पात्र में विसर्जित करें। उस पात्र को अभिषेक कराने वाले पंडित को दान में दे दें। इससे कालसर्प दोष की शांति होती है।
कालसर्प दोष से मुक्ति
- नागपंचमी के दिन 11 नारियल बहते पानी में प्रवाहित करने से भी कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
- नागपंचमी के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे मिट्टी के बर्तन में दूध रखें। इससे कुंडली के सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। राहु-केतु की शांति होती है।
- नागपंचमी की पूजा से पितृदोष शांत होता है। इस दिन गरीबों को वस्त्र और भोजन दान करना चाहिए।