Nepali वर्दी में चीन के लोग Uttarakhand की Border पर दिखे, भारत कि सुरक्षा एजेंसीज सतर्क

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गर्बाधार से लेकर लिपुलेख तक सड़क बनायीं गयी है जो चीन की सीमा से लगा हुआ इलाका है और इसकी नक़ल अब नेपाल उतार रहा है | वह टिंकर और दार्चुला के मध्य सड़क बनाने के काम को गति दे रहा है | इस 134 कि.मी. की सड़क को बनाने के लिए पहाड़ काटना पड़ रहा है और इस काम के आगे नेपाल की निर्माण निगम ने घुटने टेक दिए हैं | परंतु चीन इनका हिमायती बन के आया है और एक चीनी कंपनी ने इस परियोजना का जिम्मा उठा लिया है |

उत्तराखंड स्थित पिथौरागढ़ की सीमा से लगे हुए इलाके में चीन के विशेषज्ञों ने नेपाली सेना की वर्दी पहनकर काम शुरू किया है और अभी सूचना के मुताबिक 30 लोग वहां उपस्थित हैं जो सेना की मदद से पहुंचाए गए हैं | बुधवार के दिन उन्हें हेलिकॉप्टर से निर्माण कार्य के लिए सामग्री भी प्रदान करवाई गयी | इसके अलावा भी काफी सारे प्रोजेक्ट्स पर चीन द्वारा नेपाल में काम करवाया जा रहा है | चीन की दखल नेपाल में इतनी बढ़ गयी है कि अब वह रेलवे लाइन बिछाने का काम भी संभाल रहा है | इस दखल को देखकर भारत की सुरक्षा एजेंसीज एवं अन्य एजेंसीज काफी सतर्क हो गयी हैं |

ऐसे पता चला-

गर्बाधार एवं लिपुलेख में सड़क बनाने पर नेपाल को आपत्ति थी और इसको देखते हुए उसने दार्चुला और टिंकर में सड़क का काम चालू करवा दिया | भारतीय इलाके जिनमे पाल्पा, बूंदी एवं अन्य शामिल हैं वहां के निवासी यहाँ आप पास जाते रहते हैं | उनके द्वारा जब यहाँ मौजूद लोगों को देखा गया तो वह लोग चीन के प्रतीत हुए पर वर्दी नेपाली थी | उनका बोलचाल भी अलग था इसलिए यह बात हर जगह फैलने लगी और ऐसे सुरक्षा एजेंसीज को इसके बारे में पता चला |

छांगरू और कालापानी पर नेपाल की निगरानी-

कैलास से लेकर कालापानी तक सड़क इसलिए बनायीं गयी ताकि यात्रा आसान हो जाए पर चीन से झड़प के बाद नेपाल ने छांगरू में सशस्त्र बल की तैनाती कर दी जिससे वह कालापानी पर निगरानी रख पायेगा | इस चीज़ को देखने के लिए पूर्णचंद थापा (नेपाली सेना के अध्यक्ष) खुद आये और ऐसा प्रथम बार हुआ | भारत की सुरक्षा एजेंसीज के अनुसार नेपाल द्वारा अभी और भी आउटपोस्ट बनाये जायेंगे |

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